पैलिएटिव देखभाल के बारे में बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न

पैलिएटिव देखभाल के बारे में बहुत सारी सामान्य गलतफ़हमियाँ होती हैं, इसमें क्या शामिल होता है, इसे कब प्राप्त किया जा सकता है और यह कहाँ पर प्रदान की जा सकती है। बहुत से बारबार पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर नीचे दिए गए हैं, आशा है कि इन उत्तरों से आपको यह बात और भी अच्छी तरह से समझने में सहायता मिलेगी कि पैलिएटिव देखभाल क्या होती है, और इससे आपके प्रियजनों को कैसे लाभ मिल सकता है। पैलिएटिव देखभाल: यह आप जितना सोचते हैं उससे ज़्यादा है!

पैलिएटिव देखभाल यह आप जितना सोचते हैं उससे ज़्यादा है।

पैलिएटिव देखभाल सेवाओं को प्राप्त करना

पैलिएटिव देखभाल लोगों के लिए उसी समय से उपलब्ध हो सकती है जब उनमें जीवन-सीमित कर देने वाली किसी बीमारी की पहली बार पहचान होती है। लोग अपनी मृत्यु से पहले बहुत लंबे समय तक पैलिएटिव देखभाल प्राप्त कर सकते हैं और यह उन्हें उस समय भी मिल सकती है जब उनका ईलाज किया जा रहा हो, कभी-कभी इसे एक सहायक पैलिएटिव देखभाल भी कहा जाता है।

बिल्कुल नहीं। पैलिएटिव देखभाल उन लोगों के लिए उपलब्ध होती है जब जिनमें जीवन-सीमित कर देने वाली किसी बीमारी की पहचान हो चुकी होती है और अक्सर इसे सक्रिय ईलाज के साथ प्रदान किया जाता है। पैलिएटिव देखभालमें आपको वो सहायता और साधन उपलब्ध करवाए जा सकते हैं जिनकी आपको यह सुनिश्चित करने में सहायता के लिए ज़रूरत होती है कि आप देखभाल के अपने लक्ष्यों को पा सकें और जीवन की गुणवत्ता के लिए संघर्ष कर सकें।

पैलिएटिव देखभाल व्यक्ति तथा परिवार-केन्द्रित देखभाल होती है और यह हर व्यक्ति की आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग होगी। पैलिएटिव देखभाल, जीवन सीमित कर देने वाली किसी बीमारी से जुड़े लक्षणों, जिनमें साँस लेने मे कठिनाई भी शामिल है, और दर्द से राहत दिलाने का प्रयास करती है। पैलिएटिव देखभाल में दवाईयाँ देना; भोजन और पोषण, गतिशीलता और नींद के बारे में सलाह; भावनात्मक, सामाजिक और आध्यात्मिक चिंताओं के बारे में सहायता; काउंसलिंग और शोक (गहन दुःख) में सहायता; तथा परिवारों और देखभालकर्ताओं के लिए सहायता भी शामिल हो सकती है।

पैलिएटिव देखभाल किसी भी ऐसी जगह पर प्रदान की जा सकती है जहाँ रोगी और उनके परिवार के सदस्य चाहते हैं, और जिस जगह पर यह सहायता प्रदान करना संभव होता है। इसमें शामिल हो सकता है:

  • सामान्य चिकित्सा केन्द्र या प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल क्लिनिक
  • आपका घर
  • पैलिएटिव देखभाल बाह्य रोगी सेवा-स्थल
  • अस्पताल
  • हॉस्पिक (मरणासन्न लोगों के लिए समर्पित स्वास्थ्य सेवा केन्द्र)
  • आवासीय वृद्ध देखभाल केन्द्र।

आपके पैलिएटिव देखभाल दल में विभिन्न स्वास्थ्य और सामाजिक सहायता व्यवसायों और पृष्ठभूमियों के लोग शामिल हो सकते हैं जिनमें शामिल हैं:

  • डॉक्टर्स
  • नर्सें
  • सम्बद्ध स्वास्थ्य कर्मचारी (प्रोफेशनल्स)
  • सामाजिक कार्यकर्ता
  • फार्मासिस्ट (दवाईयाँ तैयार करने/बेचने वाला योग्यता प्राप्त व्यक्ति)
  • फिज़ियोथैरेपिस्ट
  • आकुपेशनल और स्पीच चिकित्सक
  • साइकोलोजिस्ट (मनोवैज्ञानिक)
  • आहार विशेषज्ञ
  • आध्यात्मिक/पास्टरल मार्गदर्शक
  • पैलिएटिव देखभाल में प्रशिक्षित स्वयँ सेवक।

पैलिएटिव देखभाल आपकी बीमारी, विशेषकर दर्द और लक्षणों को संभालने में आपकी सहायता कर सकती है, ताकि आप अपनी बीमारी का समान करते हुए, अपना जीवन जितना संभव हो उतना अच्छी तरह से जी सकें। आपको अपने रोग की पहचान होने के बाद शुरू के दिनों से ही इस देखभाल की आवश्यकता हो सकती है या आपकी इसे पाने की इच्छा हो सकती है या आप अपनी बीमारी के एक निश्चित स्तर पर पहुँचने के बाद प्राप्त करने का निर्णय ले सकते हैं। आपकी पैलिएटिव देखभाल, आपकी बीमारी के विभिन्न चरणों में आपके कुछ दिन सकुशल कुछ दिन बीमार रहने के सिलसिले के कारण, कभी बंद और कभी वापस शुरु हो सकती है। पैलिएटिव देखभाल का मतलब अलग-अलग लोगोंके लिए अलग-अलग हो सकता है।

पैलिएटिव देखभाल तक आपके सामान्य चिकित्सक, मेडिकल विशेषज्ञ या किसी अन्य स्वास्थ्य प्रदाता के माध्यम से पहुँचा जा सकता है।

अपने स्थानीय क्षेत्र की सेवा का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय पैलिएटिव देखभाल सेवा डायरेक्ट्री (National Palliative Care Service Directory) पर जाएँ अथवा आप अपने राज्य या टैरीटोरी की सदस्य सेवा (Member Organisation) से संपर्क कर सकते हैं।

अधिकाँश पैलिएटिव देखभाल सेवाएँ निःशुल्क होती हैं, लेकिन हॉस्पिक (मरणासन्न लोगों के लिए समर्पित स्वास्थ्य सेवा केन्द्र) तथा अस्पताल में देखभाल के लिए थोड़ा शुल्क लग सकता है। ये शुल्कआपके राज्य/टैरीटोरी, आप जहाँ है उस जगह के आधार पर और आपको किस तरह की देखभाल चाहिए उस आधार पर अलग-अलग हो सकता है।

इन शुल्कों के बारे में आपको अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रोफेशनल से बात करनी चाहिए।

पैलिएटिव देखभाल का उद्देश्य व्यक्ति को उसकी मृत्यु होने तक, जीवन को आरामदायक बनाने के साधन उपलब्ध करवाना है। पैलिएटिव देखभाल को शुरु के दिनों में ही प्राप्त करने से व्यक्ति को अपने लक्षणों पर और अधिक प्रभावशाली तरीके से नियंत्रण में रखने का और अपने स्वास्थ्य देखभाल दल से एक शांतिदायक रिश्ता बनाने का और कुछ मामलों में, यह साबित भी हो चुका है, वास्तव में जीवन को लंबा करने का सामर्थ्य मिलता है।

संसाधन

किसी प्रियजन की देखभाल करना एक बहुत ही संतोषप्रद और घनिष्ठता बढ़ाने वाला अनुभव हो सकता है। लेकिन कभी-कभी इससे तीव्र भावुकता का भी अहसास हो सकता है। इस भूमिका को निभाने में परिवार वालों/देखभालकर्ताओं की सहायता करने के लिए लोग, सूचनाएँ, और संसाधन उपलब्ध हैं।

यह सिफारिश की जाती है कि सबसे पहले तो, देखभालकर्ताओं/परिवारवालों को मेडिकल स्वास्थ्य दल या पैलिएटिव देखभाल दल से बात करनी चाहिए, जो आपको आपके प्रियजन की ज़रूरतों/आकांक्षाओं के बारे में और अधिक सलाह दे सकते हैं।

कई ऐसे नॉटफॉर प्रोफिट (या सरकार द्वारा निधिबद्ध) संगठन भी हैं जो परिवार वालों/देखभालकर्ताओं को निःशुल्क जानकारी, संसाधन, सहायता और प्रशिक्षण दे सकते हैं। आपकी आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुसार आपके लिए क्या अच्छा रहेगा यह मालूम करने के लिए इनमें से प्रत्येक के बारे में विचार करना अच्छा रहता है। इनमें से कुछ इस प्रकार हैंः

पैलिएटिव देखभाल और किसी व्यक्ति को उनके जीवन के अंतिम दिनों में प्राप्त हो सके वाली देखभाल के बारे में बहुत सारी जानकारी उपलब्ध हो सकती है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होता है कि उपलब्ध जानकारी, आपकी परिस्थितियों के अनुसार भरोसेमंद और उपयुक्त है। आपकी परिस्थिति के अनुसार आपके लिए क्या-क्या सुविधाएँ उपलब्ध हैं इस बारे में जानकारी होने से आपमें, स्थिति के नियंत्रण में होने की भावना और भी बढ़ेगी। आपके स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता, स्वास्थ्य से संबंधित जानाकरी का सर्वश्रेष्ठ साधन होते हैं। उनसे जानकारी माँगने में हिचकिचाएँ नहीं।

सबसे पहले कदम के रूप में, आपको पैलिएटिव देखभाल ऑस्ट्रेलिया (Palliative Care Australia)की वेबसाइट www.palliativecare.org.au पर हमेशा जानकारी मिल जाएगी।

दवाईयाँ और दर्द से राहत का प्रबंधन

जीवन को सीमित कर देने वाली बीमारियों से ग्रस्त सभी लोगों को दर्द का अनुभव नहीं होता है। अधिकाँश दर्द को ख़त्म या नियंत्रण में किया जा सकता है। दर्द पर नियंत्रण पाने का मतलब होता है कि दर्द से जुड़े सभी पहलुओं का आकलन करना, उस पर निगरानी रखना और उसे मैनेज करना। असल में, इससे आप जीवन आगे चलता रहता है और आप हो सके उतना अच्छी तरह से जीवन जी पाते हैं।

कुछ लोगों के मन में यह डर होता है कि अगर किसी को ओपीओयेड (opioid) दवाएँ लिख दी जाती हैं तो उसका मतलब होता है कि उस व्यक्ति का अंत निकट है। आपको दर्द से छुटकारा दिलाने का मतलब होता है आपके जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना।

कभी-कभी लोगों को यह चिंता होती है कि ओपीओयेड (opioid) दवाईयों के साइड इफेक्ट्स उनके दर्द से ज़्यादा कष्टकारी होंगे। सभी लोगों में साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं और यह याद रखना ज़रूरी है कि साइड इफेक्ट्स किसी तरह का एलर्जिक रिएक्शन नहीं होते, और अक्सर ये अस्थायी होते हैं और इन्हें संभाला जा सकता है।

ओपीओयेड (opioid) दवाईयों के साइड इफेक्ट्स में शामिल है:

  • कब्ज – कब्जनाशक लेने से इससे राहत मिल सकती है
  • मतली और उल्टी – अक्सर अस्थाई होती हैं और वमनरोधी दवाईयों से इनसे राहत मिल सकती है
  • उनींदापन या भ्रम – ईलाज शुरू होने या दवा की मात्रा बढ़ाए जाने के बाद ऐसा केवल कुछ समय के लिए हो सकता है
  • मुँह में सुखापन – इसमें समय के साथ सुधार हो सकता है, यदि ऐसा हो तो अपने फार्मासिस्ट से बात करें।

साइड इफेक्ट्स, उनकी गंभीरता और वे कब शुरु हुए, उस बारे में अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य प्रोफेशनल को तुरंत बताएँ। वे दवा या उसकी ख़ुराक में बदलाव करके शायद इन्हें कम कर सकें।

ओपीओयेड्स (opioids) का प्रयोग यदि सही उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाए तो ये व्यसनकारी (एडिक्टिव) हो सकती हैं। लेकिन किसी स्वास्थ्य प्रैक्टिशनर (डॉक्टर) के निर्देशानुसार इनका उचित तरह से प्रयोग किया जाए, तो ये दवाईयाँ पैलिएटिव देखभाल प्राप्त करने वाले रोगियों के लिए सामान्यतः चिंता का विषय नहीं होती हैं। यह संभव है कि जैसे-जैसे आपकी बीमारी बढ़ती है, उसके प्रति सहनशीलता आने लगती है या दर्द बढ़ सकता है, जिसका मतलब है कि स्वास्थ्य प्रोफेशनल्स आपकी ओपीओयेड (opioid) की ख़ुराकें बढ़ा दें; दर्द प्रबंधन ईलाज का यह एक सामान्य हिस्सा होता है।

कुछ लोग अपनी दर्द की दवाईयाँ लेना बंद कर देते हैं क्योंकि दवाईयों से उनकी बीमारी बढ़ने का पता नहीं चल पाएगा और वे यह नहीं जान पाएँगे कि उनको वास्तव में कैसा महसूस हो रहा है। दर्द की दवाईयाँ आपके स्वास्थ्य देखभाल दल को या आपको, आपकी बीमारी की अवस्था पर निगाह रखने से नहीं रोकती हैं क्योंकि बीमारी के बढ़ने के अन्य संकेत और लक्षण होते हैं जिन्हें मॉनीटर किया जाता है।

कुछ लोग अपने दर्द के बारे में अपने डॉक्टर को तभी बताते हैं जब दर्द बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है। लेकिन, सामान्तया दर्द शुरु होने के प्रारंभिक दिनों में ही उसे मैनेज करना आसान होता है और इससे दर्द तथा लक्षणों को निरंतर मैनेज करते रहने के लिए एक अच्छी शूरुआत हो जाती है। यदि आपको कहीं भी, कैसा भी दर्द हो रहा हो तो अपने स्वास्थ्य दल को उस बारे में पूरी सच्चाई से बताना अच्छा होता है।

अधिक जानकारी

अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रोफेशनल से बात करें और नीचे दिए गए लिंक पर पैलिएटिव केयर ऑस्ट्रेलिया (Palliative Care Australia) पर जाएँ।